अनादि अनंत गाना :- भारतीय दर्शन, जीवन दर्शन एवं जीवन लक्ष्य को खुद में समेटे हुए । Anaadi Ananta Song lyrics in Hindi by Kailash kher & Dr M lyrics in hindi
Anaadi Ananta Song
अनादि अनंत को मात्र एक गाना कहना, शायद इस महान कृति से न्याय नहीं होगा। सम्पूर्ण जीवन दर्शन और हिन्दू संस्कृति व दर्शन को मात्र चंद पंक्तियों में इतनी अच्छी तरह दर्शाना वाक़ई एक उत्कृष्ट कला का नमूना हैं।
श्री कैलाश खेर जी और डॉ एम जी का आभार करते हुए “HKT भारत” इस महान संगीत को अपने पेज पर अपलोड कर रहा हैं। हमारा अनादि अनंत को अपने पेज पर अपलोड करने का एक मात्र मक़सद यही है कि हम अपने पाठकों तक ये संदेश ले जाना चाहते हैं कि केवल भौतिक सुख ही जीवन का लक्ष्य नहीं हो सकता हैं। इसके साथ ही सनातन संस्कृति व दर्शन की महानता को बताना हैं।
हम सभी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में भागे चले जा रहे है। हमें ये एहसास ही नहीं हो रहा है कि जीवन में मानसिक संतुष्टि क्या होती हैं। हमारे देश की सनातन संस्कृति विश्व की महानतम संस्कृतियों में से एक हैं।
क्षमा करें कि अगर हम ये कहे और किसी को बुरा लगे। पर ये मानना ही होगा कि जीवन का जो संदेश सनातन संस्कृति में मिलता हैं। शायद ही किसी संस्कृति में मिलता हो। हमारी संस्कृति में उदासीनता को अपनाते हुए भक्ति के अनेक माध्यम उपस्थित हैं – जैसे कि ध्यान क्रिया , योग , भक्ति योग ,ज्ञान योग आदि। इंसान अपनी सहूलियत के अनुसार इनमें से कोई भी माध्यम अपनाता आया हैं।
ऐसे ही सनातन धर्म के आराध्य देव भगवान शिव हैं। जो खुद में एक अपार ज्ञान और योग के प्रतिनिधि हैं। उन्हीं को संबोधित करता हुआ और सनातन संस्कृति की महानता को दर्शाता हुआ ये संगीत हैं। इस संगीत में त्याग, संयम, ज्ञान,ध्यान आदि अनेक गुणों को बताया गया हैं। जो खुद में बहुत गहराई लिए हुए है अगर इसे कई बार सुनेंगे या पढ़ेंगे तो खुद समझ जाएंगे कि ऐसे ही भारतीय संस्कृति को महान संस्कृति नहीं कहा गया हैं।
Anaadi Ananta Song by Kailash kher & Dr M / अनादि अनंत गाना – जीवन का दर्शन और मानवता का संदेश देता ।
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मैं प्राण हूँ ना ही हूँ पंच वायु
ना मुझमें घृणा ना कोई लगाव
ना लोभ मोह इर्ष्या ना अभिमान भाव
धन धर्म काम मोक्ष सब अप्रभाव
मैं धन राग गुणदोष विषय परियांता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
मैं धन राग गुणदोष विषय परियांता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
मैं पुण्य ना पाप सुख दुःख से विलग हूँ
ना मंत्र ना ज्ञान ना तीर्थ और यज्ञ हूँ
ना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मृत्यु का भय है ना मत भेद जाना
ना मेरा पिता माता मैं हूँ अजन्मा
निराकार साकार शिव सिद्ध संता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
निराकार साकार शिव सिद्ध संता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
मैं निरलिप्त निरविकल्प सूक्ष्म जगत हूँ
हूँ चैतन्य रूप और सर्वत्र व्याप्त हूँ
मैं हूँ भी नहीं और कण कण रमता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
मैं हूँ भी नहीं और कण कण रमता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ये भौतिक चराचर ये जगमग अँधेरा
ये उसका ये इसका ये तेरा ये मेरा
ये आना ये जाना लगाना है फेरा
ये नाश्वर जगत थोड़े दिन का है डेरा
ये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंत
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंत
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
इस लिंक पर जाकर इस गाने को अवश्य सुनें –
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